Essay on Kashi Vishwanath Mandir in Hindi

काशी विश्वनाथ मंदिर पर निबंध (Essay on Kashi Vishwanath Mandir in Hindi)

प्रस्तावना (Introduction) :

भारत देश में 36 करोड़ देवी देवताओं का वास है। इसलिए यहां पर भिन्न-भिन्न देवी देवताओं के भिन्न-भिन्न मंदिर है और अनेक तीर्थ स्थल भी हैं। जिसके दर्शन करने मात्र से ही इंसान को परम सुख की प्राप्ति होती है और उनका कल्याण होता है। इन्ही तीर्थ स्थानों में सबसे प्रसिद्ध स्थान काशी अर्थात वाराणसी है और यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर है।

यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 1780 में माना जाता है। इतिहास के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित है जो कि एक पवित्र घाट माना जाता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रति आस्था

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित है। यह मंदिर शिव और पार्वती जी का आदि स्थान माना जाता है। यहां के मुख्य देवता को विश्वनाथ जी या विश्वेश्वर जी के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड पर शासन करने वाला। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने मात्र से पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है अर्थात उसका जीवन सफल हो जाता है।

इसी कारण से यहां पर स्थित दशाश्वमेध घाट पर लोगों का दाह संस्कार भी किया जाता है ताकि उनकी आत्मा को शांति प्रदान हो और उनको मोक्ष की प्राप्ति हो। ऐसा माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ मरते हुए व्यक्ति के काम में तारक मंत्र का उपदेश देते हैं जिससे वह जन्म और मृत्यु के आवागमन से छुटकारा पा जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है इसीलिए वाराणसी अर्थात काशी को मोक्षदायिनी कहा गया है।

हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि काशी अर्थात वाराणसी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है इसलिए प्रलय काल में भी इसका लोप या नाश नहीं होता है। काशी मित्र गंगा घाट पर प्रतिदिन शाम को गंगा आरती होते हैं जिसे देखने के लिए लाख हो श्रद्धालु उपस्थित होते हैं और यह भव्य आरती बड़े ही भाग्यवान लोगों को देखने को मिलती है।

यह स्थान हिंदू समुदाय के साथ-साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म के लोगों के लिए भी बड़ा ही पूजनीय स्थान है। यहां पर काशी विश्वनाथ जी का दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। प्राचीन इतिहास में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक 11 वीं सदी में राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। उसके बाद 1194 इस्वी में इस भव्य मंदिर (काशी विश्वनाथ) को मोहम्मद गौरी ने तुड़वा दिया था, ताकि इस स्थान पर वह मस्जिद बना सके।

इल्तुतमीश के शासनकाल में इसे दोबारा मंदिर बनवाया गया था लेकिन एक बार फिर से 1447 ईस्वी में जौनपुर के सुल्तान महमूद गौरी द्वारा तोड़ दिया गया था। इसके बाद मुगल शासक राजा अकबर के शासन काल में फिर से राजा मान सिंह द्वारा बनाए जाने का उल्लेख मिलता है। 

इस मंदिर को अनेकों बार तोड़ा गया और फिर से बनवाया गया। अंत में इस मंदिर को औरंगजेब के छक्के मुगल सम्राट द्वारा ध्वस्त किया गया और इसके जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया गया। मंदिर की वर्तमान संरचना मराठा अहिल्याबाई होल्कर द्वारा 1780 में एक बार फिर से करवाया गया। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन और विदाई रंगभरी एकादशी के दिन हुआ था इसलिए काशी में रहने वाले लोग महाशिवरात्रि और एकादशी को भव्य आयोजन करते हैं।

पुरानी परंपरा के अनुसार सभी श्रद्धालु लोग काशी के अन्य मंदिरों से मंदिर से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को पालकी में ले जाते हैं। महाशिवरात्रि के पर्व पर उनका भव्य विवाह का आयोजन होता है और एकादशी के दिन माता पार्वती की विदाई होती है तथा उन्हें विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है ।

इस अवसर को काशी के सभी लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास से मनाते हैं और रंग, गुलाल ,फूलों  से पूरे काशी को सजा देते हैं। महाशिवरात्रि के इस भव्य शोभायात्रा को देखने के लिए देश – विदेश के लोग दूर-दूर से आते हैं और इस कार्यक्रम का आनंद लेते हैं।

काशी में पहुंचने के मार्ग


काशी जैसे पवित्र स्थान का तथा यहां पर स्थित विश्वनाथ मंदिर तथा अन्य मंदिरों का हर कोई दर्शन करना चाहता है। इसलिए यहां पर दूर-दूर से तथा विदेश से भी लोग आते हैं आप उनके आने के भिन्न-भिन्न मार्ग हैं, जैसे…..

👉 सड़क मार्ग

वाराणसी में जाने के लिए कई राष्ट्रीय मार्ग है, जैसे एनएच 2 को कोलकाता से दिल्ली तक ,एनएच 7 से कन्याकुमारी और एनएच 29 गोरखपुर के साथ जुड़ा हुआ है। जो पूरे देश में सभी प्रमुख सड़कों से जुड़ा हुआ है। इसलिए सड़क के द्वारा भी वाराणसी आसानी से जाया जा सकता है।

👉 ट्रेन के द्वारा

वाराणसी जाने के लिए हम ट्रेन का सहयोग भी ले सकते हैं क्योंकि वाराणसी एक महत्वपूर्ण और प्रमुख रेल जंक्शन है। यह शहर देश के सभी महानगरों और प्रमुख शहरों के रेल सेवा से जुड़ा है। इसलिए यहां पर रेल के माध्यम से भी आसानी से लगाया जा सकता है।

👉 हवाई जहाज के द्वारा

वाराणसी जाने के लिए हम वायु मार्ग का इस्तेमाल भी कर सकते हैं अर्थात वाराणसी वायु मार्ग के द्वारा भी जाया जाता है क्योंकि वाराणसी और नई दिल्ली के बीच एक दैनिक उड़ान कनेक्शन है ,यह वाराणसी को दिल्ली ,आगरा, खजुराहो ,कोलकाता ,मुंबई, लखनऊ, गया, अमदाबाद, इत्यादि स्थानों से जोड़ता है।

वर्तमान समय में काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए उठाया गया कदम


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पहले चरण को लोगों को समर्पित करेंगे कहा जा रहा है कि इस बड़े प्रोजेक्ट से वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और वहां के लोगों को रोजगार भी। इस काम को शुरू करने के लिए 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री जी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी।

इस परियोजना के विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना अब लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है जबकि पहले यह क्षेत्र 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था।

प्रधानमंत्री जी के इस उठाए गए कदम से वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को और भी भव्यता प्रदान हुई है और वहां का पर्यटन भी बढ़ गया है जिससे वहां के लोगों रोजगार भी मिला है।

संदर्भ 


काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के लिए भी बड़ा है प्रसिद्ध व लोकप्रिय मंदिर है। इसलिए यहां पर हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है क्योंकि उनकी मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही उनके जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो जाता है तथा उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। 

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