दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे टेस्ट के बारे में बताने वाले हैं जो हमारे शरीर के लिए या उनमें किसी प्रकार के कोई रोग होने पर कराया जाता है।
ये टेस्ट हमारे लिए अत्यंत आवश्यक होता है क्योंकि इसके माध्यम से ही ये पता चल पाता है कि हमारे खून में एसजीपीटी तथा एसजीओटी के एंजाइम किस लेवल तक बढ़े हैं या नॉर्मल लेवल पर ही हैं।
तो आइए दोस्तों हम आपको SGPT और SGOT Test क्या है, के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
Sgpt और Sgot Test ये दोनों एक प्रकार का टेस्ट होता है जो GPT (GLUTAMIC PYRUVIC TRANSAMINASE) की मात्रा को मापता है। GPT एक प्रकार के एंजाइम या प्रोटीन होते हैं जो छोटे-छोटे मात्रा में शरीर के कई ऊत्तकों मे पाए जाते हैं।
लेकिन अधिक मात्रा में ये लीवर में पाए जाते हैं। ये एंजाइम हमारे लीवर और अन्य कोशिकाओं के काम करने की क्षमता को बढ़ाते हैं , लेकिन अगर यह छतिग्रस्त हो जाते हैं तो खून में शामिल हो जाते हैं जिसके कारण अनेक बीमारियां शरीर में होने लगती हैं। इन्हीं सब बीमारियों से बचने के लिए यह टेस्ट कराया जाता है।
लिवर के कार्य
वैसे तो हमारा शरीर अनेक अंगों को जोड़कर बना है। लेकिन लिवर ,कलेजा या यकृत हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है क्योंकि इस पर ही हमारा पूरा शरीर निर्भर करता है।
अर्थात अगर आप स्वस्थ शरीर की कामना करते हैं तो आपको इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि आपका लिवर फंक्शन या लिवर का कार्य अच्छे ढंग से हो रहा है या नहीं और इसी की जानकारी के लिए हमें Sgpt या Sgot Test करवाना पड़ता है।
लिवर मनुष्य के पेट में दाहिने-ऊपरी हिस्से में स्थित होता है और यह मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि मानी जाती है ,जो पित्त (Bile) का निर्माण करती है। लिवर के दो भाग होते हैं जिसमें दाहिने तरफ का भाग बड़ा होता है और बाएं तरफ का उससे थोड़ा छोटा।
लिवर हमारे शरीर में भोजन पचाने में मदद करने के साथ-साथ पित्त बनाने तक का काम करता है। लिवर विभिन्न चयापचयों को पोषक तत्व से बाहर निकालता है।
अर्थात हमारे शरीर से विश हरण करता है और प्रोटीन को संश्लेषित करता है तथा पाचन के लिए आवश्यक जैव रसायनिक बनाता है जो पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यह हमारे शरीर को संक्रमण से लड़ने की क्षमता देता है, खून में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है, शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है, फैट को कम करके कार्बोहाइड्रेट को स्टोर करने से लेकर प्रोटीन बनाने में मदद करता है।
लिवर पोषक तत्वों के संचयन में भी मदद करता है। लिवर के दो भाग होते हैं जिसमें दाहिने तरफ का भाग बड़ा होता है। इसका भार या वजन शरीर के वजन का 1/50 भाग के लगभग अर्थात 1,500 ग्राम से 2,000 ग्राम तक का होता है।
लिवर का भजन शरीर के वजन के हिसाब से स्त्री और पुरुष में एक समान होता है लेकिन जब बच्चों के शरीर का वृद्धि और विकास होता है उस समय लिवर का वजन बदलते रहता है।
एसजीपीटी (SGPT) टेस्ट क्या होता है ?
एसजीपीटी (SGPT) अर्थात सिरम ग्लूटामिक पाईरुबिक ट्रांसएमिनेज ( Serum Glutamic Pyruvic Transaminase)। यह एक प्रकार का एंजाइम है या प्रोटीन है जिसे ALT (Alanine Transaminase) अर्थात अलैनिन ट्रांसमिनेज भी कहा जाता है।
इस टेस्ट का उपयोग खून में उपस्थित अलैनिन अमिनो ट्रांसफरेज की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।
जिन कोशिकाओं या उत्तक में यह एंजाइम पाए जाते हैं अगर वे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या किसी भी प्रकार से उन में घाव हो जाता है तो यह एंजाइम खून में मिल जाता है।
जिसके कारण खून में SGPT का लेवल या मात्रा बढ जाता है और जिसकी वजह से अनेक बीमारियां हमारे शरीर पर हमला करने लगती हैं। इसलिए बीमारियों से खुद को दूर रखने के लिए हमें एसजीपीटी का टेस्ट अवश्य करा लेना चाहिए।
एसजीओटी (SGOT) टेस्ट क्या होता है?
एसजीओटी (SGOT) अर्थात सीरम ग्लूटामिक ऑक्सलोएसेटिक ट्रांसएमिनेज (SERUM GLUTAMIC OXALOACETIC TRANSAMINASE) लिवर या यकृत में पाया जाने वाला एंजाइम होता है।
इसे AST ( Aspirations Aminotransferase ) के नाम से भी जाना जाता है। यह एंजाइम हमारे लिवर में अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है उसके साथ ही साथ हर्ट, किडनी, ब्रेन, इत्यादि अंगों में भी यह एंजाइम थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पाया जाता है।
इसलिए लिवर के साथ-साथ अन्य अंगों से जुड़े रोग होने पर भी SGOT की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अलावा जब हम अन्य दवाओं ,जैसे – स्टेरॉइड्स, कोलेस्ट्रोल कम करने वाले, इत्यादि दवाओं का सेवन करते हैं तो उससे भी हमारे खून में SGOT की मात्रा बढ़ सकती है।
इसलिए इन दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले हमें किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह या परामर्श जरूर लेना चाहिए।
जब भी हमारे लिवर को किसी भी प्रकार की कोई क्षति पहुंचती है या किसी प्रकार का कोई रोग होता है तो खून में SGOT के एंजाइम की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे लिवर की बीमारी की तरफ इशारा करती है।
जब भी हमारा शरीर लिवर की बीमारी की तरफ इशारा करे तो हमें डॉक्टर से सलाह लेकर SGOT टेस्ट के साथ-साथ SGPT का टेस्ट भी करा लेना चाहिए ताकि हमें उस बीमारी के बारे में सही जानकारी मिल सके और उसका सही समय पर इलाज भी हो सके।
यकृत या लिवर को क्षति पहुंचाने वाले कारक
स्वस्थ शरीर की कामना हर इंसान करता है इसलिए हर व्यक्ति का यह कर्तव्य भी होता है कि वह अपने शरीर के सभी अंगो का खास ख्याल रखें।
ऐसे कई कारक हैं जो हमारे लिवर को क्षति पहुंचाने का कार्य करते हैं,जैसे- शराब या नशीली दवाओं का सेवन करना, अत्यधिक तेल युक्त भोजन करना जिससे कोलेस्ट्रोल का बढ़ जाना, हेपेटाइटिस जैसे खतरनाक बीमारियां होना, सिगरेट, तंबाकू ,आदि नशीले पदार्थों का सेवन करना अत्यधिक मात्रा में फैट युक्त भोजन करना, इत्यादि के कारण हमारे लीवर को नुकसान पहुंच सकता है।
इसलिए हमें इन सब चीजों से दूर रहकर अपने लिवर के साथ-साथ स्वयं को भी स्वस्थ रखना चाहिए।
नोट: लिवर में किसी भी प्रकार की समस्या होने के बाद SGPT टेस्ट और SGOT टेस्ट अवश्य करवाएं। यदि यकृत में या खून में इसकी मात्रा बढ गई है तो डॉक्टर की सलाह पर ही इलाज करें स्वयं से कोई इलाज ना करें।
दोस्तों हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई SGPT और SGOT टेस्ट के बारे में जानकारी आपको सही लगी। यदि आप इस टेस्ट से संबंधित अन्य और भी जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं या फिर हमारे द्वारा दी गई जानकारी में कोई बात आपको समझ नहीं आ रही है तो आप कमेंट बॉक्स में जाकर अपना प्रश्न पूछ सकते हैं……।
धन्यवाद…..🙏